विक्रान्त शर्मा
कभीकभार चोरके चोरी कएलगेल सामान बहुत अचम्मित पारेबाला होखले । एगो चोर रहे ।
चोरी कइएके अपन दुर्नाम फैलाबेके सफल भेल रहे । ओकरा डरे लोग अपना घरमे नलेजाए । ओकरासे कौनो महत्वपुर्ण बात नकहे बहुत चिज नुकादेबे । ऊ चोर रहे दरुआहा । दारु पिके चोरी कके दारु पिए । दारु नपिले र हे त बहुतभलादमी रह् । लेकिन कखुन्तीले ऊ भलादमी रही ओकर ठेकान नरहे विश्वास नरहे ।
एक दिन साँझमे दारु पिके चलदेल केनहु । चोरी कहा करेके आ कथि करेके हए एकर कौनो योजना नरहे चोरी करेके हए कहके निकलगेल । रातमे देखलक सडकपर बहुत पेटारी धएले कौनो सुतल रहे ।
छोटकी छोटकी पेटी होएलासे बहुत गहनागुरिया होई बुझाएल चोरबाके । ओहीलमन सुतल रहे एगो दोसर दरुआहा । अपना घर नहोएलासे छोटकी छोटकी पेटारीमे अपन जिनगीके चलाबेबाला सामान धएले रहे । ओही पेटारीमे रहल सामान ही ओकनीके जीवनके आधार चोरएलापर थाहो नलागंल ।
सामान चोराके एगो लमहर मोटरी बमन्हलेलक । मोटरी लेके ऊ चलदेल । अपना घरे पहँुचगेल । घरमे एकोरी चोराएल सामान धके सुतरहल । सबेरै निन टुटइता त सोचलक कि रातु जे लाएल छी ओकरा देखलेइले ।
मोटरी खोललक आ एगो पेटारी पेटारी खोलइता । पेटारीमेसे फुफुआइत निकललक साँप । जबहिए छत्तर काढइत ओकराकोर फुफकार मारइता तबहिए ऊ हात छिपके भागल । पेटारीके मुह गिरल आ साँप ओहीमे फेरसे पइँसगेल धीरेधीेरे । ऊ बाबु हो कहइत चिचिआइत दौरके जेहिना दुरापर गेल बहुत लोग ओकराओर दौरल । बात कथि हए कहके पुछलक घरमे बिछौनापर साँप कहके जेहिना कहलक सबलोग दौरके गेल बिछौनापर । बछौनापर देखइता त पेटारी रखल हए बहुत । सबलोग थुरन्ते बुझगेल कि पेटारीमे सा“प हए । ऊ रातमे चोराके लेआएल हल कौनो सँपेरीके साँपके पेटारी । ओने सँपेरी परसान रहे । दारुके पिआइ घुसरगेल रहे । मोबाइलके जमना हए । सँपेराके ओरसे भी भुलाएल बात पुगेल रहे पुलिसमे । एगोटाके घरमे बहुटे सा“पके पेटारी मिलल हए । सापके चोके केहन सजाय कएलजाए ? एकरा बिषयमे लोग अन्यौलमे हए । लेकिन दोसराके साँप चोराके अपना घरमे लेआबेबाला चोरके बुद्धि देखके लोग खुब मजाक उडारहल हए ।